IMAGINE YOUR LIFE WITHOUT BIRD
पक्षी जिसे हम हर रोज़ देखतें हैं पर कभी उनकी मन की भावनावों को समझने की कोशिश नहीं करते....... वो कुछ बोलना चाहते है.…… मैंने सुनने की कोशिश की....... जब एक दिन मै अपने कॉलेज के वर्कशॉप के ऊँची बिल्डिंग के पास बैठा था तभी एक चिड़ियाँ उस ऊँची बिल्डिंग से टकराई और गिर गई……… और उसने मुझसे कहा
ज़रा महसूस तो करो.....
पर काट दिये तुमने मेरे, ये ऊँची इमारतें बनाकर…..
फूटे सर या टूटे पर, होगा कैसे तुमपर असर.…
हमारी हस्ती मिटाने को तुमने, छोड़े नहीं है कोई कसर
शान से ऊपर कॉलर करके, कहते हो अब विकसित है हम....
ज़रा बताओ तो तुम्हारी नयी हवा में, क्यों घुटने लगता है दम
मेरी दुनिया को रोककर, लिखते हर रोज़ नई कहानी..…
रोक सको तो रोक लो ना, अपनी घटती जवानी
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