GO AHEAD....BE AHEAD

सपनें किसके नहीं होते.........कुछ ना कुछ तो जरूर होते है पर होता क्या है अंत में उन सपनों का, जब मूल्य चुकाने की बारी आती है तो लोग अपने सपने भूल जाते है ...... और जिम्मेदारियों के बोझ से किसी पड़ाव पर रुक जाते हैं.....बस यही कहना चाहता हूँ रुको नहीं,आगे बढ़ो 



 कलयुग  भँवर 



ऎ पथिक,आगे निकल 
मध्य में हो, ना विफल 
लक्ष्य तेरा शीर्ष है
कर तपस्या, पीछे ना हट  
ऎ पथिक,आगे निकल

देख कर अश्रु की धारा 
ह्रदय अपना जिसने है हारा 
हो गया भ्रमित जहाँ पर 
थम गयी मंजिल वहाँ पर 
बन कठोर, तू ना पिघल 
ऎ पथिक,आगे निकल 
मध्य में हो, ना विफल।

इस सफर में कई भँवर है 
राह में गह्वर बहुत है 
खोना ना तू,रोना ना तू 
कर भरोसा,खुद पर तू अपने 
दिव्य शक्ति का ध्यान कर 
ऎ पथिक,आगे निकल 
मध्य में हो, ना विफल।

कहते धनुर्धर लोग उसको 
पक्षी की आँखे,दिखती है जिसको 
बन तू अर्जुन,दुनिया सारथी बनेगी 
पर भूल ना द्रोणाचार्य के चरण 
ऎ पथिक,आगे निकल 
मध्य में हो, ना विफल।

है ये कलयुग तू जान ले 
वक़्त को पहचान ले 
मार्ग सरल, सफलता है देती 
मार्ग कठिन, प्रतिष्ठा भी देती 
आदर्श अपने खोना न तू 
सोच समझ, पछताना ना कल 
ऎ पथिक,आगे निकल 
मध्य में हो, ना विफल
लक्ष्य तेरा शीर्ष है
कर तपस्या, पीछे ना हट  
ऎ पथिक,आगे निकल।।

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