आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में किसी के पास किसी के लिए समय और प्यार नहीं है..... यहाँ एक ऐसे ही बच्चे की मन की आवाज़ है जो अपनी व्यस्त माँ के प्यार से वंचित होकर उनके सो जाने के बाद उसके दिल में गूंजती है........ 


चाँद का कटोरा 



जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै.... 
रात काली ये अँधेरी, डराती है मुझे
और ये दिल है हर वक़्त चाहता, बस देखना तुझे....
इन अंधेरों में यूहीं कही खोता हूँ मैं
जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै.... 

बातें जो कही थी तुमसे माँ, वो सच है.… 
कहने को और भी बहुत कुछ है
सुनोगी भी की नहीं, यही सोचता हूँ मैं
जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै....

आज कुछ ऐसा ही महसूस कर रहा हूँ .... 
ज़रा आकर देखो, जीते जी मर रहा हूँ
बस तेरे पास, अपने सपनो में ही होता हु मैं
जब सोती है तू, तब रोता हूँ मै....






Comments

Popular posts from this blog

GO AHEAD....BE AHEAD

उन्मुक्त

BE ORIGINAL